एक प्याली चाय
आओ न साथ बैठे
एक प्याली चाय पर
मिले हैं बहुत दिनों बाद
चलो बैठे एक प्याली चाय के साथ
सुबह बरामदे की कुर्सी पर
गुलमोहर के पेड़ से आ रही धूप छन कर
लाल फूलों के झूमते गुच्छे
तुम्हे भी तो लग रहें होंगे अच्छे
सुलझाने हैं कई उलझने ,यों ही नहीं लगो समझाने
मैं चुप रहूंगी नासमझ बनकर ,क्यों तकरार हो एक प्याली चाय पर ?
दूर से आए हो थक गए होगे ,कड़क चाय बनी है साथ कुछ और लोगे ?
अहा, नहीं है बरामदे में बैठना ,चलो अन्दर पसंद करोगे कमरे का कोई कोना
मेज़ सजी है ,कुर्सी रखी है
हम तुम बदल गए तो क्या ,
यादें हमारी वहीं खड़ी हैं
चाय तुम्हारी ठंडी हो गई ,फ्लास्क में रखी थी काली हो गई
दूध वाली चाय जो पीते हो ,आदत वही पुरानी अपनी धुन में जीते हो
बादल घिरने लगे हैं ,धूप छुपने लगी है
लाओ ताज़ी चाय फिर से बना दूँ
इसी बहाने कुछ पल तुम्हे रोक लूँ
चाय की प्याली में तूफ़ान उठते सुना है
चलो उस पर थोड़ा रोमान्स ही कर लूँ
कहने को तो बहुत कुछ है,शुरू करूँ तो अन्त कहाँ है
चाय तो बस एक बहाना है ,तुम्हे जो पास बुलाना है
ब्लैक टी पियोगे ?
कुछ पल के लिए ही सही ,अपना ज़ायका बदलोगे ?
चलो बहस हो जाये चाय की वैरायटी और क्वालिटी पर
प्लीज , आओ न
साथ बैठे एक प्याली चाय पर .